मुख्य चिकित्साधिकारी मथुरा के द्वारा कोतवाली छाता में केडी मेडीकल काॅजेल अकबरपुर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिसमें धारा 269, 270 व महामारी अधिनियम धारा 3 में मुकदमा दर्ज कराया गया है। जिसमे केवल तीन पीड़ितों का ही जिक्र है जिनके नाम हैं बबिता शुक्ला, गजेंद्र कुमार शर्मा, रोहित अग्रवाल।
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आपको बताते चले कि कोरोना की दूसरी लहर में केडी मेडीकल काॅलेज अकबरपुर पर गम्भीर आरोप लगे थें। जिसमें पीडितों ने वीडीयो वायरल कर काॅलेज प्रशासन पर गम्भीर आरोप लगाये थें। पीडितों ने अवैध धन वसूली व ईलाज में लापरवाही बरतने के आरोप काॅलेज प्रशासन पर लगाये थें। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडीयों के आधार पर जिलाधिकारी मथुरा ने तत्काल जांच के आदेश दिये थे। जिसमें जांच अधिकारी जाॅइन्ट मजिस्ट्रेट दिक्षा जैन व उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ आलोक कुमार को बनाया गया था। जांच कमेटी ने काॅलेज एण्ड हाॅस्पीटल प्रशासन को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए जांच रिपोर्ट अगस्त माह के पहले सप्ताह में जिलाधिकारी मथुरा को सौंपी थी । उसी के आधार पर मुख्य चिकित्साधिकारी मथुरा डॉ रचना गुप्ता ने आज दिनांक 23 सितम्बर 2021 को काॅलेज प्रषासन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। इस बीच इस बात की चर्चा भी रही कि कुछ षिकायतकर्ताओं ने राजनेतिक व पैसों के दबाब में केडी मेडीकल काॅलेज के समर्थन में एफीडेविट दे दिये थे।
प्रषासन के द्वारा कराई गयी एफआईआर बहुत सारे सवालों को जन्म देती है। जिससे लोगों मे चर्चाओं का बाजार गरम है।
सवाल 1- तीन लोगों के नाम का ही उल्लेख कर एफआईआर दर्ज क्यों कराई गयी है? जबकि एक दर्जन से अधिक पीडित अपनी शिकायत लेकर जांच कमेटी के सामने पहुचे थे।
सवाल 2 – दीक्षा जैन अपनी जांच रिपोर्ट माह अगस्त से पहले ही प्रस्तुत कर चुकी थी। एफआईआर दो माह बाद क्यों दर्ज कराई गयी है?
सवाल 3 – क्या केडी मेडीकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पीटल को अपना बचाव करने का पूरा समय (मौका ) दिया गया?
बहुत सारे सवाल लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए है। लोगों के जहन मे एक सवाल ओर है। क्यों न आईएएस दिक्षा जैन जाॅइन मजिस्ट्ैट मथुरा की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नही किया जाय। जाना चाहिये।
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