डालमिया बाग मे 454 पेडों के अवैध कटान, विधुत लाईन व विकास प्राधिकरण की रेलिंग को क्षतिग्रस करने के कारण मथुरा प्रशासन द्वारा तीन मुकदमें इसमें दर्ज करा दिये गये। जिसमें करीब 42 लोगों को गिरफतार कर पुलिस ने उन्हे कोर्ट में पेश किया जिसमें सभी को जमानत मिल चुकी है।
इस मामले की गहनता से जांच पडताल करने पर पता चला कि इस 33 एकड भूमि में से करीब 11 एकड भूमि ठाकुर श्याम सुन्दर मन्दिर की थी। जिसें नारायण सेठ ने सन 1989 में नोकर श्याम सुन्दर पुत्र किशन सिंह के नाम पॉवर अटर्ॉनी कराकर डालमिया परविार को सन 1993 में बेच दिया था।
भूमाफियाओं के षडयंत्र की पराकाष्ठा देखिऐ कि ठाकुर जी के नाम से मिलते जुलते आदमी की के नाम पॉवर ऑंेफ आटर्ॉनी कराकर कर चार साल तक खरीददार ढूढकर अंन्तः जमीन को 90 हजार रूपये की दर से बेच डाला।
इस मामले को विस्तार से जानने का प्रयास करते है।। चकबन्दी से पूर्व की नकल खतोनी देखने पर ज्ञात हुआ कि ठाकुर श्याम सुन्दर मन्दिर के अहतमाम गोपाल गोविंद नन्द देव पुत्र महंत नन्द नन्दन महाराज निवासी गोपी बल्लभपुर जिला मेदनीपुर परगना नया बांस बंगाल ने सन 1989 में श्याम सुन्दर पुत्र किशन सिंह के नाम पॉवर अटर्ॉनी कर दी जिसे सन 17 मार्च 1993 में कौडियों के दाम डालमिया परिवार को बेच दिया। वास्तव में किसी मन्दिर के मोहतमाम, पुजारी अथवा सेवायतों के अधिकार मन्दिर की सम्पत्ति के प्रबन्ध करने तक होते है। उन्हे मन्दिर की सम्पत्ति को बेचने आदि का अधिकार नही होता। चुकि ठाकुर जी के स्वरूप को नाबालिग माना जाता है। इस लिये मोहतमाम, पुजारी अथवा सेवायत केवल संरक्षक के रूप में होते है।
इस सन्दर्भ में जब महंत मधु मंगल शुक्ला जी से बात की तो उन्होने बताया कि उनके द्वारा कोर्ट मंे एक बाद यह भी दायर किया गया है कि डालमिया परिवार के पास यह जमीन किस प्रकार आयी। इसमें 10 एकड से अधिक जमीन ठाकुर श्याम सुन्दर मन्दिर वृन्दावन की जमीन है। वृन्दावन के मूल स्वरूप की रक्षा के लिये वे तन मन से प्रयत्नशील है।
जमीन के दस्तावेज चीख चीखकर गवाही दे रहे हैं कि किस तरह ठाकुर जी जमीन को षडयन्त्र कारीयों ने फर्जी तरीके से कागज तैयार कर बेच दिया।
सन 1989 में मन्दिर के अहतमाम गोपाल गोविंद नन्द देव पुत्र महंत नन्द नन्दन महाराज निवासी गोपी बल्लभपुर जिला मेदनीपुर परगना नया बांस बंगाल से श्याम सुन्दर पुत्र किशन सिंह के नाम पॉवर ऑफ आटर्ॉनी करवाई इसके बाद 17 मार्च 1993 में डालमिया परिवार के नाम इसका बैनाम करा दिया गया।
देखिये दस्तावेजो की नजर में कैसे बिकी ठाकुर जी की जमीन पुरान खसरा नम्बर 129-2 वर्तमान खसरा नम्बर 255 जिसका नक्शा संलग्न है। नोट – नक्शे में ठाकुर जी की जमीन नाले की पटरी से वृन्दावन की ओर है।
बैनामा होने के बाद खतौनी की पहली नकल
चकबन्दी के बदलते खसरा को दिखाता दस्तावेज