
सन्तो के कंधे पर रख कर किसने चलाई बंदूक? आखिर क्यों ब्रज के संत महात्मा महामंडलेश्वर भागवताचार्य और विनीत नारायण आ गए आमने सामने? लिंक पर क्लिक कर देखें पर्दे के पीछे का सच। ब्रज तीर्थ विकास परिषद एवं द ब्रज फाउंडेशन की लड़ाई अब रोचक मोड़ पर आ चुकी है। यूं तो जंग के मैदान में एक तरफ ब्रज के संत, महंत, भागवताचार्य है तो दूसरी तरफ अकेले योद्धा पत्रकार विनीत नारायण। अपने समय के दिग्गज पत्रकार विनीत नारायण ने 90 के दशक में जैन हवाला कांड का खुलासा कर भारत की राजनीति में भूचाल ला दिया था। विभिन्न पार्टियों के 115 से अधिक मंत्रियों व राजनेताओं के खिलाफ उस मामले में चार्ज शीट दाखिल हुई थी।
एक बार फिर विनीत नारायण उसी अंदाज में दिखाई दे रहे हैं।
विनीत नारायण पत्रकारिता का वो दौर पीछे छोड़ कर 2002 से ब्रज की धरोहरों को सजाने में जुटे हुए थे।उनके कार्यों की प्रशंसा प्रधानमंत्री मोदी से लेकर हर नेता, संत व ब्रजवासी ने की है।
विनीत नारायण ने बृज फाउंडेशन के माध्यम ब्रज के वन, घाट, कुंड व भगवान श्रीकृष्ण की अन्य लीला स्थलियों का अभूतपूर्व श्रिंगार किया है।
लेकिन योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद पिछले 5 साल से योगी सरकार ने इन्हें काम नहीं करने दिया क्योंकि नारायण योगी सरकार पर ब्रज में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते आ रहे थे कि ब्रज के विकास के नाम पर ब्रज का विनाश और धन की लूट हो रही है।
भाजपा के हिंदुत्व पर हमलावर होते हुए उन्होंने अनेकों आरोप लगाए जिसमें आर एस एस की दोहरी विचारधारा और उनके तीर्थ विकास में विसंगति का आरोप सबसे प्रमुख है। उनके अनुसार भाजपा हिंदुओं की बात करती है परंतु सनातन धर्म को सबसे अधिक भाजपा ने ही नुकसान पहुंचाया है। इसकी शिकायत उन्होंने आर एस एस प्रमुख से लेकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी तक अनेकों बार की।
यूपी की राजनीति में उस समय नया मोड़ आ गया जब विनीत नारायण ने राम जन्मभूमि ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष चंपत राय के परिवार पर संघ से जुड़े व्यक्ति की एक गौशाला की जमीन को हड़पने के (जून 2021 में )मामले को उछाल दिया।
इसी के फलस्वरुप उन पर अनेकों धाराओं में एफ आई आर दर्ज हुई। जिसे पत्रकार विनीत नारायण ने अपनी कुशलता से इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टे लेकर एफ आई आर रद्द करा दी।
इसी श्रंखला में विनीत नारायण ने एक वेब सेमिनार में बृज के विकास को लेकर योगी सरकार पर आरोप लगाए और बताया कि नाथ संप्रदाय के होने के कारण योगी को वैष्णव कुंभ बैठक का उद्घाटन मुहूर्त और परंपरा के विरुद्ध नहीं करना चाहिए था । जिस पर वृंदावन के कुछ सन्यासी व भगवताचार्यों ने विगत 10 जनवरी को श्रोतमुनि आश्रम में एक बैठक आयोजित की जिसमें अनेकों वक्ताओं ने विनीत नारायण पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए उन्हें देश से निकालने और मार डालने की अपील सरकार से की ।
इसका जवाब देते हुए पत्रकार विनीत नारायण ने उन सभी को देश के अनेकों हाईकोर्ट के वकीलों के द्वारा मानहानि का नोटिस भिजवाना आरंभ कर दिया। इसके बाद बैठक में उपस्थित हुए वक्ताओं में खलबली मच गई तथा बैठकों का दौर आरंभ हो गया। अनेकों अधिकारियों व वकीलों से सलाह लेने के बाद भी अनर्गल आरोप लगाने वाले वक्ताओं को अभी तक नोटिस के जवाब देने का रास्ता नहीं सूझ पा रहा है। अभी बैठकों का दौर जारी है और जिस अधिकारी के इशारे पर यह बैठक आयोजित की गई सुनने में आया है कि उस अधिकारी ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं ।
अब देखना यह है चुनावी मौसम में सन्यासी एवं पत्रकार विनीत नारायण की लड़ाई का परिणाम क्या होता है? वृंदावन के सर्व समाज के लोग पूरे मामले पर उत्सुकता से नजर जमाये हुए हैं।