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अफगानिस्तान: रूस के इशारे पर चल रहा तालिबान, चीन और पाक के लिए खतरा बने खूंखार आतंकवादियों को जेल से छोड़ा।

अफगानिस्तान की जमीन पर शतरंज की वह बिसात बिछी हुई है जिस पर काबिज तो तालिबान है लेकिन चालें चीन, पाकिस्तान, ईरान और रूस की ओर से भी चली जा रहीं हैं। इसमें किसकी शह और किसकी मात होगी यह तो वक्त बताएगा लेकिन तालिबानियों को चीन, पाकिस्तान और रूस की चली जा रही चालों का बखूबी अंदाजा है। यही वजह है कि अफगानिस्तान में काबिज हुए आतंकी संगठन तालिबान ने काबुल पर कब्जा करने के कुछ दिनों के दौरान ही यहां की जेलों में बंद पाकिस्तान और अफगानिस्तान के खूंखार आतंकवादियों को रिहा कर दिया। इसमें कुछ आतंकवादी संगठन ऐसे भी हैं जिन से चीन को भी खतरा है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा करके तालिबानियों ने चीन और पाकिस्तान को अंदरूनी तौर पर खुली चुनौती दे दी है। फिलहाल अफगानिस्तान की जमीन पर एक साथ कई लड़ाइयां लड़ी जा रही हैं।

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अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा करने के बाद सबसे पहले तालिबानी आतंकियों ने अफगानिस्तान की अलग-अलग जेलों में बंद पाकिस्तान की तहरीक-ए-तालिबान से जुड़े आतंकियों को रिहा कर दिया। उसके बाद अफगानिस्तान के ही उइगर मुसलमानों से संबंध रखने वाले आतंकियों को भी देश के अलग-अलग जेलों से रिहा कर दिया गया। उइगर मुसलमानों से चीन शुरुआत से चिढ़ा रहता है। विदेशी मामलों के जानकार और खुफिया एजेंसी से जुड़ कर दुनिया के अलग-अलग देशों में काम कर चुके वरिष्ठ अधिकारी एसएन शर्मा कहते हैं दरअसल तालिबानियों ने ऐसा करके चीन और पाकिस्तान की दुखती रग पर हाथ रख दिया है।

शर्मा कहते हैं कि पाकिस्तान कभी नहीं चाहता था कि उसके देश में दहशत पैदा करने वाले खतरनाक आतंकियों को अफगानिस्तान की जेल से रिहा किया जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और तालिबानियों ने पाकिस्तान की हिट लिस्ट में शामिल कई आतंकियों को शुक्रवार और शनिवार को अलग-अलग जेलों से आजाद कर दिया। इसमें सबसे बड़े पाकिस्तानी आतंकवादी मौलाना फकीर अहमद का नाम भी शामिल है। जो पाकिस्तान की तहरीक-ए-तालिबान के आतंकवादियों के साथ मिलकर कई बड़े शहरों पर जानलेवा हमले करता आया है। इसके अलावा पाकिस्तान ने कई उजबेक आतंकियों को भी अपनी जेल से रिहा कर दिया। विदेशी मामलों के जानकार शर्मा कहते हैं कि चीन और तालिबानियों की जब भी खुले तौर पर या छिपे रूप से बात होती थी तो उसमें हमेशा इस बात का जिक्र होता था कि अफगानिस्तान में उइगर मुसलमानों को ज्यादा से ज्यादा यातनाएं दी जाएं और जो मुस्लिम आतंकी इस समुदाय से जेल में बंद हैं उनको कभी बाहर ना आने दिया जाए।

रूस और ईरान का तालिबानियों पर बड़ा हाथ
रक्षा विशेषज्ञ कर्नल बीके दत्ता कहते हैं कि तालिबानियों ने पाकिस्तान और चीन की एक नहीं सुनी और उन सभी आतंकियों को रिहा कर दिया गया जिनकी रिहाई ना होने के लिए पाकिस्तान और चीन एड़ी से चोटी का जोर पुरानी सरकारों में भी लगाते रहते थे और तख्तापलट के बाद तालिबान से भी गुजारिश कर रहे थे। दत्ता कहते हैं इसके पीछे बहुत सारे कारण है। वह कहते हैं तालिबान ऐसा अपने दम पर बिल्कुल नहीं कर सकता है कि वह पाकिस्तान और चीन का खुल्लम खुल्ला विरोध करें। उनका कहना है अगर तालिबान की अंदरूनी राजनीति को और वहां के हालातों को समझे तो इन सब के पीछे रूस और पड़ोसी मुल्क ईरान का हाथ नजर आएगा। वे कहते हैं रूस मध्य एशिया में कभी भी खासकर मुस्लिम देशों में शांति की बहाली की वकालत नहीं करता है और तालिबानियों की इस वक्त सबसे ज्यादा निर्भरता रूस और ईरान पर है। वे कहते हैं कि रूस के इशारे पर ही तालिबानियों ने दोनों देशों के लिए खतरा बने आतंकियों को जेलों से रिहा किया है। विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है ऐसा करके तालिबान अपने भरोसेमंद देशों पर ज्यादा निर्भरता भी चाहता है और उनको अपना बनाने की पुरजोर कोशिश भी कर रहा है। तालिबानियों का मानना है जब विश्व पटल पर वह अकेला पड़ने लगेगा तो यह मुल्क उसकी मदद को आगे आएंगे। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है तालिबान पर भरोसा ना रूस कर रहा है और ना ही पाकिस्तान।

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