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चम्पत राय के परिजनों को हाइकोर्ट का झटका, पत्रकार विनीत नारायण की गिरफ्तारी पर रोक, यूपी पुलिस को गलत तरीके मुकदमा दर्ज करने पर फटकार, ऐसे तो अभिव्यक्ति की आज़ादी खत्म हो जायेगी:- हाइकोर्ट

पत्रकार विनीत नारायण की फेसबुक पोस्ट के कारण उन पर आईपीसी की  डेढ़ दर्जन धाराओं में केस दर्ज किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा है कि अगर इस तरह फेसबुक पोस्ट किए जाने पर केस दर्ज किए जाने लगेंगे तो संविधान में नागरिकों को दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का क्या होगा। कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई है कि पत्रकार पर केस दर्ज करने के दौरान ऐसी धाराओं का उपयोग किया गया जो किसी भी तरह से इस मामले से संबंधित नहीं हैं।

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जस्टिस एसपी केसरवानी और जस्टिस पीयूष गोयल की बेंच ने इस मामले में पत्रकार विनीत नारायण  सहित तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। साथ ही नोटिस जारी कर दूसरे पक्ष को अदालत  के सामने पेश होकर अपना पक्ष रखने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।

पत्रकार विनीत नारायण ने गत 17 जून को फेसबुक पर एक पोस्ट डालते हुए नगीना, बिजनौर में एक गोशाला में हो रहे भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। फेसबुक पोस्ट में विहिप के शीर्ष नेता चंपत राय के परिवार जनों के द्वारा भूमि हड़पने का आरोप लगाया गया था। लेकिन इसके बाद चंपत राय के सबसे छोटे भाई संजय बंसल ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए इसे अपने परिवार के मानहानि का मामला बताते हुए 19 जून को नगीना थाने में केस दर्ज करा दिया था।

पत्रकारों की स्वतंत्रता पर जोर
वकील शुभम यादव ने अमर उजाला से कहा कि अदालत ने इस मामले में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सबसे ऊपर रखते हुए पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सबसे ऊपर रखा है। आजकल यह चलन देखा जा रहा है कि लोगों की स्वतंत्र आवाज को दबाने के लिए कानून का दुरूपयोग करते हुए लोगों पर केस दर्ज किए जा रहे हैं। एक लोकतांत्रिक देश में यह स्वीकार्य नहीं है।

क्या है मामला
दरअसल, यह विवाद नगीना, बिजनौर में स्थित श्रीकृष्ण गोशाला की लगभग 50 करोड़ रूपये मूल्य की जमीन से जुड़ा हुआ है। यह गोशाला 1953 में स्थापित की गई थी। इसकी देखभाल एक ट्रस्ट के माध्यम से की जा रही थी। कथित तौर पर मैनेजमेंट में शामिल एक व्यक्ति ने गोशाला के छद्म नाम से एक अन्य ट्रस्ट बनाकर उसके माध्यम से गोशाला की भूमि अपने नाम कर ली थी और इस भूमि पर एक महाविद्यालय स्थापित करा दिया था।

गोशाला के मैनेजमेंट से जुड़ी रही महिला अलका लाहौटी ने आरोप लगाया था कि विहिप नेता चंपत राय के एक करीबी ने चंपत राय के प्रभाव का उपयोग करते हुए भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया है। वे इस भूमि को खाली कराने के लिए अदालती लड़ाई भी लड़ रही हैं। आरोप है कि रूहेलखंड विश्वविद्यालय द्वारा महाविद्यालय को मान्यता भी चंपत राय के सिफारिशी पत्र के आधार पर दी गई थी, जबकि महाविद्यालय इसके लिए अपेक्षित मापदंडों पर खरा नहीं उतरता था।

इस पूरे विवाद में चंपत राय का नाम घसीटे जाने को लेकर राय परिवार ने आपत्ति जताई थी। परिवार ने कहा था कि इस गोशाला के पूरे विवाद से उनका कोई लेना-देना नहीं है। पत्रकार के फेसबुक पोस्ट के कारण छवि धूमिल होने का आरोप लगाते हुए चंपत राय के भाई संजय बंसल ने इनके खिलाफ केस दर्ज करा दिया

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