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क्या आप स्वस्थ हैं? यदि आपने यह प्रश्न सच्चाई से जान लिया तो आप मृत्यु के भय से मुक्त हो जाएंगे। स्वास्थ्य और मृत्यु के भय पर प्रकाश डालता आलेख:- सुधीर के बोल

#सुधीर के बोल :- क्या आप स्वस्थ है? यदि आपने यह प्रश्न सच्चाई से स्वयं से जान लिया तो आप मृत्यु के भय से मुक्त हो जाएंगे

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आज महामारी कोरोना काल में प्रत्येक व्यक्ति आशंकित है और भय से परेशान है। डर कभी भी किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। आओ मैं आपको बताता हूं इस खाली समय को अवसर में कैसे बदलना है।

अकेलापन अच्छा भी है बुरा भी है, जब आप स्वयं में अंदर से आनन्दित होंगे तब बाहर एक व्यक्ति भी भीड़ मालूम होंगी और जब आप बाहरी आनंद को खोजने में लगे रहोगे तब एकांत बुरा लगेगा।

तन मन को स्वस्थ रखने के लिए तीन क्रियाएं आवश्यक है।
1. व्यायाम
2. आहार
3. विश्राम

इन तीनों में से एक में भी अपूर्णता या सही तरीके से नही किया तो आपको दुनियाभर के हीरे जवाहरात भी मिल जाएं तो वह कंकड़ पत्थर लगेंगे।

हम बहुत अजीब हालत में हैं। आप व्यायाम तो करते नहीं, आप विश्राम भी नहीं करते। जिसको आप विश्राम कहते हैं, वह विश्राम नहीं है। आप पड़े हैं, करवटें बदल रहे हैं, वह विश्राम नहीं है।
एक गहरी प्रगाढ़ निद्रा! जिसमें कि सारा शरीर सो जाए और उसके सारे काम का जो भी बोझ और भार उस पर पड़ा है, वह सब विलीन हो जाए, वह है विश्राम।

क्या आपने कभी ख्याल किया, अगर आप सुबह बहुत अस्वस्थ उठे हैं और तबियत ताजी नहीं है, तो आपका व्यवहार स्वस्थ नहीं होता! अगर आपको नींद अच्छी नहीं आयी और सुबह एक भिखारी आपसे भीख मांगने आया है, बहुत असंभव है कि आप उसे भीख देने में रुचि रखें और अगर आप रात बहुत गहरी नींद सोए हैं और कोई आपके द्वार आया है तो बहुत मुश्किल है आपको कुछ देने से इंकार करें।

आपने गौर किया भिखारी सुबह ही क्यों आते है शाम को नही उसके पीछे यही मनोविज्ञान है। क्योंकि सुबह संभावना मिलने की है, शाम को कोई संभावना नहीं है।

हमने आहार और विहार को संयुक्त माना है हमेशा से। जैसा आहार होगा, जैसा विहार होगा, अगर उन दोनों में सात्विकता होगी, तो जीवन में बड़ी गति और बड़ा आंतरिक प्रवेश होना शुरू होता है।

स्वास्थ्य की एक भूमिका बहुत जरूरी है। और उसके लिए सम्यक आहार, सम्यक व्यायाम और सम्यक विश्राम, इनको आप बुनियादी हिस्से मानें। मैं आपको नई बीमारी मोबाइल के बारे में अधिक नही कहूँगा केवल इतना कहूँगा की आप मोबाइल का जितना उपयोग बढ़ाएंगे उतना स्वयं को खोते जाएंगे।

विश्राम भी करने के लिए कुछ समझ चाहिए, जैसा व्यायाम करने के लिए कुछ समझ चाहिए। शरीर को छोड़ने की समझ चाहिए। वह हम रात्रि को जब ध्यान करेंगे, तो उससे आपको समझ में आएगा कि उस ध्यान के बाद अगर आप विश्राम करते हैं, तो विश्राम वास्तविक होगा, संपूर्ण होगा।

कुछ लोग शाररिक रूप से व्यायाम करने की स्थिति में न हो, उनके लिए मानसिक व्यायाम होता है उदाहरण के लिए केवल पंद्रह मिनट को सुबह उठकर स्नान करने के बाद एकांत कमरे में लेट जाएं, आंख बंद कर लें और कल्पना करें कि मैं पहाड़ियां चढ़ रहा हूं और दौड़ रहा हूं। सिर्फ कल्पना करें, कुछ न करें। वृद्ध हैं, वे नहीं जा सकते हैं। या ऐसी जगह हैं कि वहां घूमने नहीं जा सकते हैं। तो एकांत कमरे में लेट जाएं, आंख बंद कर लें और कल्पना करें कि मैं जा रहा हूं, एक पहाड़ चढ़ रहा हूं और दौड़ रहा हूं। धूप तेज है और मैं भागा चला जा रहा हूं। मेरी श्वास जोर से बढ़ रही है। अकल्पनीय परिवर्तन आपके तन मन पर होंगे।

आप पंद्रह मिनट बाद बिलकुल ताजे, व्यायाम करके उठ आएंगे। जरूरी नहीं है कि आप व्यायाम करने जाएं। शरीर के अणुओं को पता चलना चाहिए कि व्यायाम हो रहा है, तो वे तैयार हो जाते हैं। यानि वे उसी स्थिति में आ जाते हैं, जिस स्थिति में वस्तुतः आप चले होते तब आते। वे उसी स्थिति में आ जाते हैं।

क्या आपने कभी खयाल नहीं किया, स्वप्न में घबड़ा गए हों, तो उठने के बाद भी हृदय कंपता रहता है। क्यों?

अगर आप इमेजिनेशन में भी व्यायाम करते हैं, तो फायदा उतना ही हो जाता है, जितना कि वस्तुतः व्यायाम करिए। कोई भेद नहीं पड़ता। इसलिए जो बहुत समझदार थे इस मामले में, उन्होंने बड़ी अदभुत तरकीबें निकाल ली थीं। अगर उन्हें आप एक जेल में भी बंद कर दें, तो उनके स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं पड़ेगा। क्योंकि वे पंद्रह मिनट विश्राम करके और व्यायाम कर लेंगे।

शरीर के लिए थोड़ा-सा व्यायाम अत्यंत आवश्यक है।
क्योंकि शरीर जिन तत्वों से मिलकर बना है, वे तत्व व्यायाम के समय में विस्तार पाते हैं। व्यायाम का मतलब, विस्तार। संकोच के विपरीत है व्यायाम शब्द। व्यायाम का अर्थ है विस्तार। जब आप दौड़ते हैं, तो आपके सारे कण और सारे लिविंग सेल्स, पूरे जीवित कोष्ठ विस्तृत होते हैं, फैलते हैं। और जब वे फैलते हैं, तो आपको स्वास्थ्य का अनुभव होता है। जब वे सिकुड़ते हैं, तो बीमारी का अनुभव होता है। जब आपकी श्वास पूरे के पूरे प्राण के फेफड़े को खोलती है और सारे कार्बन डाइआक्साइड को बाहर फेंकती है, तो आपकी खून की गति बढ़ती है। और खून की गति बढ़ती है, तो शरीर की सारी अशुद्धियां दूर होती हैं।

ध्यान रहें कोई भी बीमारी स्वस्थ व्यक्ति का कुछ नही बिगाड़ सकती।
स्वस्थ रहें-मस्त रहें।

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