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भगवान श्री कृष्ण की सभी लीलाएं लोक रंजन एवम् जनकल्याण के लिए हुई:- आचार्य सुरेश चंद्र शास्त्री

वृंदावन। कुंभ मेला स्तिथ ब्राह्मण सेवा संघ के शिविर में आचार्य सुरेश चंद्र शास्त्री ने श्रीमद् भागवत कथा के अंतर्गत व्यास पीठ से कहा कि भगवान श्री कृष्ण की सभी लीलाएं लोक रंजन एवम् जनकल्याण के लिए हुई थी वे सभी रहस्यों से परिपूर्ण जनकल्याण की भावना में निहित प्रेम, सद्भाव, संस्कार, संस्कृति, सुख एवम् समृद्धि के मूल भूत सिद्धांतों की स्थापनाओं के लिए थी, वहीं जनमानस के लिए कौतुक पूर्ण तथा आसुरी प्रवृति के प्राणियों को असंभव एवम् भयावह प्रतीत होने बाली थी।

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उन्होंने कहा की प्रभु की लीलाएं गौ ब्राह्मण एवम् संत जनों की रक्षा व अत्याचारियों का अंत करने के लिए हुई, उन्होंने पूतना बध, तृणावर्त उद्धार, शकटासुर, धेनुकासुर, यमलार्जुन, केशी उद्धार, माखन चोर आदि लीलाओं का रोचक वर्णन करते हुए कहा कि यमुना प्रदूषण की समस्या पहले भी रही है, कालिया नाग यमुना को मैला कर यमुना में बसेरा कर रहा था भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग को यहां से जाने को विवश किया तथा यमुना को प्रदूषण से मुक्त कराया।

उन्होंने कहा की हमें भगवान श्री कृष्ण से प्रेरणा लेनी चाहिए और वर्तमान में यमुना में हो रहे प्रदूषण को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए।

आचार्य श्री ने श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सरस वर्णन के अंतर्गत कहा कि भगवान श्री कृष्ण कभी रूढीवाधिता के पक्षधर नहीं रहे। उनके हर क्रिया कलाप में ब्रज की सुख समृद्धि, बृजवासियों का हित एवम् ब्रज का महत्व स्पष्ट दिखाई देता था। उन्होंने गोवर्धन पूजा का वर्णन करते हुए कहा की भगवान श्री कृष्ण ने अपनी व्यापक शक्ति का परिचय देने एवम् निष्ठा को प्रतिष्ठापित करने के लिए एक रूप से गोवर्धन पूजा की और दूसरे रूप से पूजा कराई तथा इंद्र के कोप से ब्रज की रक्षा कर अपने ईश्वरीय तत्व का ज्ञान कराया।

इस अवसर पर गिरिराज महाराज की छप्पन भोग की झांकी का सभी भक्तों ने दर्शन किया।

श्रीमद् भागवत सप्ताह भक्ति ज्ञान यज्ञ में प्रमुख रूप से आचार्य आनंद बल्लभ गोस्वामी, कार्ष्णि नागेंद्र महाराज, विमल चैतन्य ब्रह्मचारी, पंडित चंद्र लाल शर्मा, पंडित सत्यभान शर्मा, पंडित जगदीश नीलम, आनंद द्विवेदी, लाला व्यास गोवर्धन, श्रीमती लक्ष्मी गौतम, प्रतिभा शर्मा, स्वेता गोस्वामी, बिहारी लाल शास्त्री, अंकुश मिश्रा, नीरज गौड़, चीनू शर्मा, सुनील कौशिक आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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