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डालमिया फार्म हाउस के कच्चे कागज पर बिकने का कच्चा चिठठा। कौन थे डालमिया व धनुका परिवार से जमीन के खरीददार विशेष रिपोर्ट -2

जितेन्द्र भारद्वाज (सम्पादक) डालमिया फार्म हाउस में बेरहमी से काटे गये 300 पेडों का मामला सुर्खीयों में है। अब तक इस मामले में तीन गिरफ्तारीयां हो चुकी है। जिनमंे से शंकर सेठ व जेसीबी मालिक ओमप्रकाश व रामकुमार को गिरफतार कर जेल भेज दिया गया है वही शंकर सेठ को अंतरिम जमानत मिल चुकी है। शंकर सेठ के अधिवक्ता ने मथुरा न्यायालय में यह दावा किया कि उसके मुवक्लि शंकर सेठ का इस मामले से कोई लेना देना नही है उसे तो इस मामले में साजिशन गिरफ्तार किया गया है इसी आधार पर मथुरा कोर्ट ने तीनो ही मामलों में अंतरिम जमानत देदी । कहा जा रहा है कि इस हाईप्रोफाईल मामले में एक मात्र किरदार केवल शंकर सेठ नही है। इस बहुचर्चित सौदे को श्ंाकर सेठ से पहले मथुरा के 5 व्यापारीयों ने खरीदा उसके बाद 150 करोड के मुनाफे में शंकर सेठ को बेच दिया। लोगों में इस बात की खासी चर्चा है कि श्ंाकर सेठ ने 36 एकड के इस फार्म हाउस में एक एक हजार वर्ग गज के करीब 1500 सो पलॉटों को नक्शा बनाकर इसे तकरीबन 1 हजार मथुरा के व्यापारीयों को बेच दिया। जिनकी उसकी रजिस्टृी नवरात्रों में होनी थी। लेकिन रात में करीब 300 से अधिक पेडों के अवैध कटान के बाद मामले के तूल पकड लिया।

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ऐसा कहा जा रहा है कि डालमिया व धाुनका परिवार से मथुरा के 5 व्यापारी गोवर्धन सेठ, राजीव बृजवासी, प्रमोद कसेरे, सुरेश कौशिक व नारायन सेठ ने करीब 275 करोड में कच्चे कागज पर सौदा किया था जिसे करीब 150 करोड के मुनाफे से शंकर सेठ को 425 करोड में बेच दिया। शंकर सेठ ने भी 36 एकड में करीब 1500 पलॉट का नक्शा बनाकर उसमें से करीब 1 हजार पलॉट एडवांस लेकर उनका सौदा कर दिया था। यही कारण था कि जब शंकर सेठ को जमानत के लिए मथुरा कोर्ट में पेश किया तो सैकडों की संख्या में मथुरा व वृन्दावन के व्यापारी थे। मामले के हाईप्रोफाईल हो जाने के बाद सभी खरीददारो की बेचेनी बढ गयी थी। व्यापारी इस मामले की भी टोह लेते रहे कि वे अभी पलॉटों की खरीददारी पर डटे रहे या पैसे वापस करने पर विचार करें। पूरे दिन मथुरा कचहरी पर इस बात की चर्चा होती रही। पिछले दिनों वृन्दावन में जमीन के रेटों मे आयी गिरावट भी इस बात का कारण थी। इस बात की भी दवे स्वर में चर्चा चलती रही कि यह जमीन 90 के दशक में किसी मन्दिर के नाम थी। जिसे मन्दिर के महतराम ने अवैध तरीके से बिक्री कर दिया था। यदि सुप्रीम कोर्ट का दो साल पुराना आदेश प्रभावी हुआ ओर बृजवासीयों ने मामले की सही तरीके से पैरवी की तो जमीन मन्दिर के लिये वापिस चली जायेगी जिससे व्यापारीयों का पैसा भी कही डूव न जाये।ं

क्या राधा श्याम सुन्दर की रासस्थली थी डालमिया फार्म हाउस?
किस मन्दिर की जमीन को अवैध तरीके से खरीद कर बेच दिया था डालमिया व धानुका परिवार को?
क्या जमीन का अधिग्रहण भी कर सकती है सरकार जानने के लिये पढे विशेष रिपोर्ट -3

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