जनपद में विधानसभा व विधान परिषद का चुनाव संपन्न होने के साथ ही अब नगर निकाय चुनाव की बिसात बिछने लगी है। प्रदेश में नवंबर या दिसंबर तक निकाय चुनाव होना प्रस्तावित है। नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत अध्यक्ष पद व सभासद का चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों ने जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वे शादी समारोह के अलावा गमी आदि जैसे खास मौकों पर लोगों के घरों पर दस्तक देने लगे हैं। सत्ताधारी पार्टी भाजपा से चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की संख्या सबसे अधिक है।
*हाल-चाल जानने पहुंच रहे हैं दावेदार*
नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों का अगले कुछ महीनों में ही पांच साल का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। इसको लेकर नगर निकाय चुनाव का बिगुल बजने लगा है। शहर में सभासद मोहल्लों में जा- जाकर लोगों से हाल-चाल जानते हुए तैयारी कर रहे हैं। तो नगर पंचायतों में चेयरमैनी का चुनाव लड़ने वाले इस बार सीट (आरक्षित, अनारक्षित) कौन सी रहेगी ? इसके बारे में अभी से गुणाभाग करने में जुट गए हैं। कोई कह रहा है कि 2017 में सीट सामान्य थी तो इस बार ओबीसी या फिर आरक्षित हो सकती है। इन्हीं सब बिंदुओं के साथ चुनावी फिजा चलने लगी है। खास बात है कि विधानसभा व एमएलसी चुनाव के दौर में ही नगर निकाय चुनाव की शुरुआत हुई है। चुनावी नतीजे आने के बाद निकाय चुनाव की सरगर्मियां भी तेज होने लगेंगी।
*दावेदारों की लंबी फेहरिस्त*
नगर निगम मथुरा, नगर पालिका कोसीकलां व नगर पंचायतों में छाता, चौमुहां, नंदगांव, बरसाना, गोवर्धन, सोंख, फरह, राया, नौहझील, बाजना, बलदेव आदि नगर पंचायतों में अध्यक्ष पद के लिए दावेदारों की लंबी लाइनें हैं।
नगर पंचायत क्षेत्र में अध्यक्ष व वार्ड सदस्य का चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
*भाजपा से चुनाव लड़ने वालों की संख्या अधिक*
भाजपा में विधानसभा चुनाव की तरह नगर निगम में मेयर, नगर पालिका व नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए टिकट पाने के लिए दावेदारों की लंबी सूची रहने का अनुमान है। अब देखना यह होगा कि टिकट किसे मिलेगी? हालांकि सपा, बसपा समेत दूसरे दलों से भी चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगी जा रही है।
*भाजपा से टिकट न मिलने पर दौड़ेंगे कांग्रेस, बसपा की ओर*
भाजपा से टिकट मांगने वालों की लंबी कतार लगी है। चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग साम दाम दण्ड भेद हर तिकड़म आजमा कर कमल के फूल को हासिल करने की कोशिश करेंगे।
कलम न मिलने की स्थिति में वे हाथी की सवारी या हाथ का साथ पाने के लिये फिर पाला बदलेंगे इस बात से इनकार नही किया जा सकता।