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ब्रज संस्कृति व पर्यावरण के स्वरूप को लेकर ब्रज में घमासान। षड्यंत्र के चेहरे हटे तो बेनकाब हुआ खलनायक

ब्रज संस्कृति व पर्यावरण के स्वरूप को लेकर ब्रज में घमासान। पत्रकार विनीत नारायण (अध्यक्ष द ब्रज फ़ाउंडेशन ) और शैलजा कांत ( उपाध्यक्ष उ0 प्र0 ब्रज तीर्थ विकास परिषद’ ) के विवाद में नया मोड़ तब आ गया जब ब्रजवासियों को बरगलाने का काम ब्रज में बाहर से आकर बसे मठाधीशों और अफ़सरों ने 10 जनवरी 2022 को वृंदावन के श्रोत मुनि आश्रम में एक साजिश के तहत बैठक आयोजित की, जिसका लब्बोलुआब विनीत नारयण के विरूद्ध जनांदोलन की भूमिका तैयार करने का था। आपको बताते चले कि शैलजा कांत मिश्रा द्वारा कई कार्यदायक संस्थाओं के माध्यम से गत पाँच वर्षों में ,सरकार का अरबों रुपया खर्च किया परन्तु धरातल पर ब्रजवासियों व पर्यटकों के लिये अधिक लाभदायक नहीं रहा है। द ब्रज फ़ाउंडेशन द्वारा लगातार आरोप लगाये जाते रहे कि आध्यात्मिक स्तर का एक भी कार्य ब्रज संस्कृति के अनुरूप शेलजकांत नहीं कर पाये।

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उन पर नाकारापन और भ्रष्टाचार के आरोप पत्रकार विनीत नारायण लगाते रहे हैं । पिछले महीने में दो बार प्रेस वार्ता में भी नारायण ने शैलजा कांत मिश्रा से परिषद के खातों को सार्वजनिक करने की माँग की थीं। पूरी साजिश का खुलासा करते हुए चतु:समप्रदाय के महंत वयोवृद्ध संत फूलडोल दास महाराज ने सोमवार की देर रात एक प्रेस वार्ता बुलाकर किया। उनके अनुसार शैलजा कांत, आर एस एस के करीबी ज्ञानानंद महाराज कृष्णकृपा धाम आदि के कहने पर पत्रकार नारायण के विरूद्ध यह बैठक श्रोतमुनि आश्रम, वृन्दावन में आयोजित की थी। ब्रजवासियों, संतों व भागवताचार्यों को विषय बताया गया कि मुख्यमंत्री योगी को पत्रकार नारायण ने अपशब्द कहे है तथा बड़ी दक्षिणा व भंडारे का प्रलोभन देकर संतों, पुजारियों और भागवताचार्यों को बुलाया गया। योजना के अनुसार आयोजकों ने माइंड वाश कर बैठक में झूठ पर आधारित उत्तेजक वातावरण बनाकर विनीत नारायण के विरुद्ध अभद्र भाषा का प्रयोगकरवाया। इसकी प्रतिक्रिया में जब नारायण ने देश की अनेकों उच्च न्यायालय से मानहानि का नोटिस भिजवाया तो बेठकधारियो को समझ में आया कि उनका दुरुपयोग किया गया है। उनकी गरिमा व प्रतिष्ठा की हानि हो चुकी है, वे अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे है। जिसके फलस्वरूप अब सभी ब्रजवासीं संतों के द्वारा उक्त प्रकरण से अलग होते हुए, सार्वजनिक बयान जारी करके स्वयं को इस विवाद से अलग होने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। विनीत नारायण के अनुसार शैलजा कांत मिश्रा ने योगी आदित्यनाथ जी को ढाल बनाकर, अपने ऊपर से सीबीआई की जाँच का ख़तरा टालने के उद्देश्य से , ये षड्यंत्र रचा है। मथुरा के जन प्रतिनिधि व ब्रज विकास परिषद के अफ़सर, सब बाहर के हैं। इन्हें ब्रज की रसिक परम्पराओं और संस्कृति की कोई समझ नहीं है। इसलिये ये ब्रजवासियों की लगातार उपेक्षा कर रहे हैं। बाहर से आकर वृंदावन में आलीशान आश्रम बनवा- बनवा कर , धर्म का भारी व्यापार करने वाले , सन्यासियों और मठाधीशों को ही ये लोग महत्व देते हैं। अन्य प्रान्त से आये मठाधीशों का ब्रज के भक्ति रस की सैद्धांतिक रसिक परम्पराओं ( गौड़ीय, निम्बार्क, हरिदासी, राधा बल्लभी व पुष्टि मार्ग आदि ) से कोई वास्ता नहीं हैं । मठाधीश अपनी मायावादी संस्कृति को वृंदावन ब्रज पर थोप कर ब्रज का स्वरूप बिगाड़ रहे हैं । इनमें से अधिकतर तो राजनेताओं और अफ़सरों के साथ चिपके रहते हैं और अध्यात्म की बजाय राजनीति में रस आता है। ब्रज के धनाधोरी बन मूल ब्रजवासियों के पेट पर लात मार रहे हैं। ब्रजवासियों, तीर्थ पुरोहितों व ब्राह्मण समाज आदि को इन लोगों ने सत्ता से मिलकर पिछले दो दशक में बदनाम किया है। परन्तु उक्त प्रकरण से साजिशकर्ता पहली बार बेनकाब हुए है।शोसल मीडिया पर जिस प्रकार तथाकथित संतो के विरोध में कमेंट आ रहे है उससे ब्रज में एक माहौल बन रहा है। सब ब्रजवासी अपने- अपने संगठनों के तले इन बाहरी मठाधीशों व अफ़सरों के विरुद्ध लामबंद हो रहे हैं। जिससे ब्रज- वृंदावन की सदियों पुरानी भक्ति संस्कृति की इन विनाशकारी ताक़तों से रक्षा हो सके और ब्रजवासियों का भला हो सके ।

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