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फेसबुक की हकीकत बेपर्दा: यूजर्स की डिलीट की हुई फोटो भी देख लेते थे इंजीनियर्स, जुकरबर्ग जानते थे कि एक दिन सरकारें उनके पीछे पड़ जाएंगी

दुनियाभर में करीब 285 करोड़ मंथली एक्टिव यूजर्स रखने वाली सोशल मीडिया साइट फेसबुक की हकीकत एक किताब में बेपर्दा हुई है। किताब का नाम है- एन अगली ट्रूथ यानी घिनौना सच। इसे शीरा फ्रेंकेल और सिसिलिया कांग ने लिखा है। दोनों अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए रिपोर्टिंग करती हैं।

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यह किताब बताती है कि किस तरह फेसबुक के इंजीनियर्स ही ऑफिस के लैपटॉप का इस्तेमाल कर यूजर्स की निजी जिंदगी में झांकते थे, उनकी अपलोड की हुई या डिलीट की गई तस्वीरें देख लेते थे और मैसेंजर पर उनके लिखे संदेश पढ़ लेते थे। कंपनी के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग को भी इस बात का डर था कि किसी दिन सरकारें उनके सोशल नेटवर्क के पीछे पड़ जाएंगी।

 

 

400 लोगों से एक हजार घंटे की बातचीत के बाद लिखी गई किताब

यह किताब 400 लोगों से इंटरव्यू के आधार पर लिखी गई है। इसके लिए न्यूयॉर्क टाइम्स की दोनों रिपोर्टर्स ने फेसबुक के मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों, अफसरों, उनके परिवार के लोगों, दोस्तों, निवेशकों, सलाहकारों और अन्य लोगों से करीब एक हजार घंटे की बातचीत की। इसके बाद किताब में फेसबुक की हकीकत के बारे में बताया।

 

दोनों लेखकों ने इस बात का विस्तार से ब्योरा दिया है कि फेसबुक कैसे, कब और क्यों गलत दिशा में चल निकला। इसमें कहा गया है कि फेसबुक बिना खलल के मुनाफा कमाने वाली ऐसी कंपनी बन गई है, जिससे पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। अमेरिका से लेकर म्यांमार तक कोई भी इसके असर से नहीं बचा है।

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