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सुधीर के बोल- आज भाजपा का हाल नई बोतल में पुरानी शराब की तरह है। कॉंग्रेस में जितनी खराबी थी आज वह सब भाजपा में भी विद्धमान हो रही है।

सुधीर के बोल : देश की राजनीति का नेतृत्व उत्तर प्रदेश तय करता है। इसलिये राष्ट्रीय पार्टी भाजपा उत्तर प्रदेश से अपनी पकड़ कमज़ोर नही करना चाहती अतः 2022 के चुनाव को संघ बहुत गंभीरता से ले रहा है। संघ की स्थापना के शताब्दी महोत्सव 2025 को मनाया जाएगा और संघ का निश्चय है कि जब संघ शताब्दी मनाएं तो देश मे भाजपा का राज हो , परन्तु संघ के इस स्वप्न में उत्तर प्रदेश के वर्तमान हालात से रोड़ा उतपन्न कर सकते है।

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आज की भाजपा का हाल नई बोतल पुरानी शराब की तरह है। कॉंग्रेस में जितनी खराबी थी आज वह सब भाजपा में भी विद्धमान हो रही है। एक समय था भाजपा का बड़ा से बड़ा नेता संघ के सामने नतमस्तक रहता था किंतु आज संघ को भाजपा नेताओं के कार्यलय व घर पर चक्कर लगाने पड़ रहे है, अभी हाल ही में केशव प्रसाद मौर्य के घर पर राजीनामा का संदेश देने के बहाने संघ के दो बड़े पदाधिकारी नज़र आये।

अटल जी के जमाने में भाजपा अधिक अनुशासन में थी, अटल जी भाजपा के सबसे अधिक विश्वनीय नेता रहें। जनता में विपक्ष व सत्ता के सर्वोच्च पद दोनों स्थितियो में अटल जी की लोकप्रियता का ग्राफ आजीवन कम नही हुआ। आज भाजपा का कोई भी सर्वोच्च पद विश्वनीयता कायम रखने में कामयाब नही रहा।

यह तथ्य नयी पीढ़ी जो शोसल मीडिया के द्वारा भाजपा से प्रभावित हुई है नही समझ पाएगी।

भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश के हालात सहज नहीं है, आज पश्चिमी किसान जिसमें अधिकतर जाट बेल्ट है नाराज है गन्ना किसान का भुगतान 14 दिन कानून के बाबजूद बकाया है ऊपर से किसान बिल, मोदी जी का जाट आरक्षण का वायदा पूरा न होना। पिछड़ा वर्ग जो भाजपा की जीत का बहुत बड़ा फैक्टर है वह भी नाराज है अनुप्रिया पटेल, डॉ संजय निषाद, ओमप्रकाश राजभर, अपने को अपमानित महसूस कर रहे है, एन मौके पर भाजपा को धोखा दे सकते है।

ब्राह्मण के सभी संगठन भाजपा से नाराज़ है, ब्राह्मणों को लगता की भाजपा अप्रगट रूप से ब्राह्मण विरोधी है, रामजन्म भूमि ट्रस्ट में जो ब्राह्मणों को स्थान मिलना चाहिए था वह नही मिला, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटकर मोदी सरकार एससी एसटी एक्ट पर संसद में बिल पेश करना, प्रदेश में ब्राह्मणों के विरुद्ध लगातार कार्यवाही होना भी कारण है।

मँहगाई के कारण जनता परेशान है, रोजगार के अवसर बेहद कम हो गए है, ऊपर से कमर तोड़ मंहगाई से जनता को रोज दो चार होना पड़ रहा है।

व्यापारी वर्ग बहुत नाराज है, व्यापारी को लगता है कि सरकार लगातार लॉक डाउन में व्यापार बंद के बाबजूद सभी टैक्स व खर्चे करने पड़ रहे है। सरकार किसी प्रकार की छूट व मदद नही दे रही है।

आर्थिक व स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर सरकार बुरी तरह फंस चुकी है।

भाजपा को संजीवनी देने वाला राम मंदिर मुद्दा भी जमीन घोटाले की भेंट चढ़ गया। उसमें ऐसे अकाट्य सबूत एक के बाद एक आ गए है जिन पर संघ से लेकर भाजपा तक जबाब नहीं दे पा रहे है।

सूत्रों की माने तो एक सर्वे अनुसार भाजपा 100 सीट का नुकसान होता दिख रहा है। इसलिये 2022 को ध्यान रख कर डैमेज कॉन्ट्रोल की कवायत हो रही है।

अब ऐसे नए मुद्दे की तलाश जारी है जिस पर पूर्व की भांति वोटर को भावनाओं के ज्वार में एकतरफा आँधी में समेटा जाएं। वह मुद्दा जम्मू कश्मीर या चीन की सीमाओं का भी हो सकता है, एक बार फिर राष्ट्रवाद के सहारे नय्या पार का प्रयास है।

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